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श्री कृष्ण की Dwarka नगरी और चार धामों में से एक प्रमुख धाम द्वारका

श्री कृष्ण की Dwarka नगरी और चार धामों में से एक प्रमुख धाम द्वारका ,गोमती घाट द्वारका ,बेट द्वारका ,गोल्डेन द्वारका मंदिर ,गोपी तालाब ,हनुमान दंडी ,नागेश्वर ज्योतिलिँग ,रुक्मिणी देवी मंदिर ,शिवराजपुर बिच ओर सुदर्शन सेतु के बारे हमारे आर्टिकल के जरिए आपको सब जानकारी प्रदान करते हैI

Dwarka

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Dwarka भारत के चार प्रमुख धामों में से एक प्रमुख धाम है। यह जगत मंदिर और द्वारकाधीश मंदिर के नाम से जाना जाता है। जो गुजरात के काठियावाड क्षेत्र में गोमती नदी और अरब सागर के संगम के किनारे स्थित है। यह मंदिर द्वारका की सभी ईमारतो से ऊंचा है। इस मंदिर मे कई आक्रमण और पुनः निर्माण किये गए है। इस मंदिर का निर्माण भगवान श्री कृष्ण के परपोते व्रजनाभ ने करवाया था। इसमें पांच मंजिले और 60 स्तम्भ मे इसका शिखर करीब 38 मीटर ऊंचा है। मंदिर की दीवारों पर देवी-देवता और पशु-पक्षीयों की कलाकृतिया बनाई गई है। इस भव्य मंदिर के अंदर विराजमान द्वारकाधीश की प्रतिमा को द्वारकावासी राजा की तरह ही पूजते है ।

Dwarka बहुत ही प्राचीन और धार्मिक नगरी है। यह मंदिर काफ़ी ज्यादा प्रसिद्ध है। 5000 साल पहले भगवान श्री कृष्ण ने मथुरा छोड़ने के बाद में यहा पर सोने की द्वारका बसाई थी। द्वारकाधीश को ग्यारबार भोग लगाया जाता है। और चार बार उनकी आरती की जाती है। द्वारकाधीश मंदिर मे 52 गज का ध्वज चढ़ाया जाता है। और ध्वज को दिन मे 5 बार बदला जाता है। इस पल को देखने के लिए भक्तगण घंटो तक इंतजार करते है। ध्वज आरती के दौरान चढ़ाया जाता है। सुबह मंगला आरती 7:30 बजे, श्रृंगार आरती सुबह 10:30 बजे, संध्या आरती 7:45 बजे और शयन आरती 8:30 बजे होती है।

भगवान श्री कृष्ण की पूजा मे तुलसी का बड़ा महत्व है। माना जाता है की, तुलसी श्री कृष्ण की पत्नी होने के साथ प्रेम का प्रतिक भी है। यहां पर भगवान श्री कृष्ण कों समर्पित प्राचीन द्वारकाधीश मंदिर के साथ – साथ बेट Dwarka और भगवान शिव के 12 ज्योतिलिँगो में से एक नागेश्वर ज्योतिलिँग भी स्थापित है।

द्वारिका मे एक ऐसी मान्यता है, की भक्तगण पहले गोमती नदी मे स्नान करने के बाद द्वारिकाधीश मंदिर मे भगवान श्री कृष्ण के दर्शन करते है। मंदिर मे प्रवेश करने के दो प्रमुख द्वार है। स्वर्ग द्वार और मोक्ष द्वार मंदिर मे दर्शन करने का समय सुबह 6:30 बजे से दोपहर 1 बजे तक है। फिर उसके बाद मे शाम को 5 बजे से रात 9:30 बजे तक दर्शन कर सकते है। द्वारकाधीश मंदिर के अंदर मोबाइल फोन, कैमरा, बैग और जूते- चप्पल ले जाना मना है। यहा पर फ्री लॉकर फेसिलिटी मिल जाती है। यह विश्व प्रसिद्ध मंदिर 2500 साल से भी ज्यादा पुराना है। इस पांच मंजिला मंदिर की वास्तुकला देखकर भक्तगण अंचभीत रह जाते है।

गोमती घाट Dwarka

गोमती घाट द्वारका
गोमती घाट Dwarka

गोमती नदी Dwarka के गोमती घाट से होकर बहती है। गोमती नदी प्रवित्र गंगा की सहायक नदी है। ऐसा माना जाता है की भगवान श्री कृष्ण ने उनके भक्तो के साथ इसी घाट पर पूजा अर्चना की थी। इसलिए यह पवित्र स्थल माना जाता है। और यहा पर आके डुबकी लगाना बहुत ही पवित्र माना जाता है। गोमती घाट द्वारकाधीश जी के मंदिर के बिलकुल पास में ही है। गोमती घाटके पास में बहुत से प्राचीन मंदिर बने हुए है। जो भी श्रद्धालु द्वारकाधीश के दर्शन करने आते है वो पहले गोमती घाट पर आते है। गोमती घाट पर डुबकी लगाकर ही दर्शन करने जाते है। वही घाट के अंतिम छोर पर श्री संगम नारायण मंदिर है। वही पर गोमती नदी का अरब सागर में संगम होता है। इस घाट कों सच्चा पवित्र स्थान माना जाता है।

बेट द्वारका

बेट द्वारका
बेट Dwarka

बेट द्वारका एक टापू है। चारों तरफ से खूबसूरत समंदर के पानी से घिरे हुए एक टापू के ऊपर बेट Dwarka स्थित है। जहा पर भगवान श्री कृष्ण रहा करते थे। यही पर सोने की द्वारका स्थित है। यहा पर ऐसा माना जाता है की श्री कृष्ण के द्वारका धाम मे आकर अगर आप बेट द्वारका के दर्शन नहीं करते हो, तो द्वारका धाम के दर्शन आपके अधूरे माने जाते है। द्वारका से बेट द्वारका 32 किलोमीटर की दुरी पर है। गोमती नदी के तट पर बसे हुए द्वारका में भगवान श्री कृष्ण जी का राज दरबार हुआ करता था। और दोनों ही द्वारका में द्वारकाधीश जी विराजमान है। मंदिर के अंदर मोबाइल और बैग ले जाना मना है। द्वारकाधीश जी के मंदिर में जो भगवान श्री कृष्ण जी की प्रतिमा है, उस प्रतिमा को स्वयं माता रुक्मिणी जी ने बनाया था। श्री कृष्ण जी अपने बचपन के मित्र सुदामा से यही पर मिले थे। सुदामा ने उपहार स्वरूप चावल भेट किये थे। इसलिए यहा पर चावल का भोग चढ़ाया जाता है। द्वारका भगवान श्री कृष्ण जी की राजधानी हुआ करती थी।

गोल्डेन द्वारका मंदिर

गोल्डेन द्वारका मंदिर
गोल्डेन Dwarka मंदिर

इस मंदिर को सोने की Dwarka के स्वरूप मे बनाया गया है। इस मंदिर को गोल्डेन Dwarka के नाम से जाना जाता है। यहा पर भगवान श्री कृष्ण की जीवन लीलाओ को प्रतिमा के माध्यम से बहुत ही अच्छे तरीके से दिखाया गया है। जैसे की कंस मामा वध, पूतना मोक्ष और साथ ही में पुरे भारतवर्ष के साधु संत और देवी देवताओं के बहुत ही खूबसूरत झांकी आपको यहा पर देखने को मिलती है। यहा पर आप सुबह 9 बजे से शाम 7 बजे तक आप आ सकते हो। इस मंदिर को अंदर से बहोत सारे शिशों का इस्तेमाल करके बहोत ही अच्छी तरह से बनाया गया है।

गोपी तालाब

गोपी तालाब
गोपी तालाब

यह बहुत ही प्रसिद्ध और प्रमुख स्थान है।गोपी तालाब बेट Dwarka से 20 – 21 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है। इसी जगह पर गोपिया भगवान श्री कृष्ण जी को आखिरी बार मिली थी। और उसके बाद में यहा से श्री कृष्ण जी द्वारका की और चले गए थे। 16108 गोपिया यहा पर भगवान श्री कृष्ण जी से मिलने के लिए आई थी। और तब भगवान श्री कृष्ण जी ने अर्जुन को गोपियों के साथ में सुरक्षा के लिए भेजा था। और गोपिया जब तालाब मे स्नान करने के लिए गई, तब अर्जुन पेड़ के नीचे विश्राम कर रहे थे, और उसी वक़्त बिल काबा लोगों ने यहा पर हमला कर दिया था। और अर्जुन को पेड़ के ऊपर बांधकर उनके पास के सारे शस्त्र ले लिए थे। तब गोपियों ने अर्जुन को निसहाय देखते हुए बिल काबा लोगों के मारने से पहले ही इस तालाब में अपने प्राण त्याग दिए थे। इसलिए इस तालाब की गोपी चंदन मिट्टी को आज भी यहा पर आने वाले भक्तगण प्रसादी के रूप में अपने घर लेकर जाते है। यहा पर बहुत मंदिर स्थित है। यहा पर आप पानी में तैरते हुए पत्थर को भी देख सकते है।

बेट द्वारका – हनुमान दंडी

हनुमान दंडी
हनुमान दंडी

बेट Dwarka से 5 किलोमीटर पूर्व में भगवान हनुमान का एक भव्य और अनोखा मंदिर है। मंदिर के गर्भगृह मे हनुमान जी के साथ में उनके पुत्र मकरदव्ज विराजमान है। जब हनुमान जी अपनी पूंछ पर लगी अग्नि को बुझाने के लिए समुद्र में गए थे, तब वहा पर हनुमान जी के पसीने की बूंद को मछली ने निगल लिया था, जिससे वह गर्भवती हो गई और मकरदव्ज को जन्म दिया था। इसी तरह से हनुमान जी के पुत्र की उत्पति हुई थी। और इसी जगह पर हनुमान जी और उनके पुत्र मकरदव्ज के बिच में युद्ध हुआ था। दंडी से यह युद्ध हुआ था, इसलिए इस जगह को हनुमान दंडी कहा जाता है। युद्ध के समय हनुमान जी को पता नहीं था, की यह उनके पुत्र है। मंदिर के अंदर हनुमान जी की प्रतिमा छोटी है, जो की एक चावल के दाने के बरोबर हर साल यह जमीन के अंदर यानि की पाताल लोक के अंदर जा रही है।

नागेश्वर ज्योतिलिँग

नागेश्वर ज्योतिलिँग
नागेश्वर ज्योतिलिँग

यह बहुत ही प्रसिद्ध और आलौकिक मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिलिँगो में से 10 वे स्थान पर आता है। और यह मंदिर Dwarka से 17 किलोमीटर और बेट द्वारका से 22 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है। यहा पर मंदिर के प्रारंण मे भगवान शिव जी की 80 फिट उंची विशाल प्रतिमा स्थापित है। प्रभावशाली और खूबसूरत संरचना है। जो 3 किलोमीटर की दुरी से ही दिखाई देती है। प्राचीन काल में यहा पर बहुत ही घना दारुका नाम का वन हुआ करता था। इसी जगह पर भगवान शिव और माँ पार्वती ने अपने भक्त सुप्रिय को दर्शन दिए थे। यही पर शिवजी ने दारुका नाम के राक्षस का वध किया था। यहा पर आप विशेष पूजन भी करा सकते है। जिन लोगों की कुंडली में सर्प दोष होता है, उन लोगों के लिए यहा पर पूजन कराना विशेष महत्व माना जाता है।

रुक्मिणी देवी मंदिर

रुक्मिणी देवी मंदिर
रुक्मिणी देवी मंदिर

बहुत ही आलौकिक और दिव्य मंदिर है यहा पर ऐसी मान्यता है, भगवान श्री कृष्ण और माता रुक्मिणी ने खुद पानी पीकर प्यास को शांत कर लिया था, लेकिन अपने गुरु दूर्वासा ऋषि से पानी के लिए नहीं पूछा था। ऋषि दूर्वासा ने क्रोधित होकर दोनों को 12 साल अलग रहने का श्राप दिया था। इसी कारण इस मंदिर पर जल का दान किया जाता है। कहा जाता है की यह मंदिर 2500 साल से भी ज्यादा पुराना है, लेकिन समय के साथ इसका पुनः निर्माण किया गया होगा। यह मंदिर मूर्तियों और संरचना मे द्वारकाधीश मंदिर से बहोत ज्यादा सादा है, लेकिन फिर भी यह मंदिर उतनी ही भक्ति और भावना जगाता है।

शिवराजपुर बिच

शिवराजपुर बिच
शिवराजपुर बिच

शिवराजपुर बिच एक प्रसिद्ध और सुंदर बिच है। Dwarka से 12 किलोमीटर की दुरी पर द्वारका – ओखा राजमार्ग पर स्थित है। इस बिच को हाल ही मे ब्लु फ्लैग बिच मान्यता प्राप्त हुई है। हरे – नीले पानी वाले इस बिच पर वाटर एक्टिविटीज का आनंद ले सकते है। यहा पर स्पीड बोट राइड, बनाना राइड, पैराग्लाइडिंग बोटिंग का आंनद ले सकते है। समुद्र के बीचो-बिच मे स्थित आइलेंड पर भी बोट के माध्यम से जा सकते है। यह बिच पुरे भारत से पर्यटको को आकर्षित कर रहा है। बच्चों और परिवार के साथ छुटिया मानाने के लिए आदर्श स्थान है।

सुदर्शन सेतु

सुदर्शन सेतु
सुदर्शन सेतु

द्वारका मे स्थित सुदर्शन सेतु ना केवल एक पुल है, बल्कि यह भक्ति, इतिहास और आधुनिक इंजीनियरिंग का एक अद्भुत संगम है। सुदर्शन सेतु को बहुत ही शानदार तरीके से बनाया गया है। पिलर पर लगे मोरपंख यहा की खूबसूरती मे चार चाँद लगाता है। इस जगह पर लोग फोटो शूट करना पसंद करते है। इसको बनाने मे 1.5 लाख क्यूबिक मीटर पत्थरो का इस्तेमाल हुआ है। दस हजार टन स्टील का इस्तेमाल हुआ है, जो 100 ब्लु वेल्स के वजन के बराबर है। 1,811 किलोमीटर लंबाई के केबल को प्रयोग मे लाया गया है। इसका उद्घाटन 25 फरवरी 2024 को हुआ था। इस पुल की कुल लंबाई 2,320 मीटर है। यह पुल भगवान श्री कृष्ण के सच्चे मित्र सुदामा के नाम पर समर्पित है। सुदर्शन सेतु एक महत्वपूर्ण पुल है, जो गुजरात के ओखा मुख्य भूमि को बेट Dwarka द्रीप से जोड़ता है। यह भारत का सबसे लंबा केबल आधारित पुल है। सुदर्शन सेतु एक आधुनिक इंजीनियरिंग का चमत्कार भी है। रात के समय यह पुल और भी सुंदर लगता है।