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भारत हिस्सेदारी बढ़ी US ट्रेड डील

भारत हिस्सेदारी बढ़ी US ट्रेड डील के बीच अंतरिम व्यापार समझौते की संभावना बरकरार है हालांकि कृषि और डेयरी सेक्टर में कुछ मुद्दे हैं। भारत अमेरिका से आने वाले कुछ उत्पादों पर शुल्क में छूट देने को तैयार है लेकिन डेयरी उत्पादों पर सरकार अभी भी अनुमति नहीं दे रही है। अमेरिका अपने कृषि उत्पादों के लिए शुल्क कम करने की मांग कर रहा है।

Narendra Modi and Donald Trump
Narendra Modi and Donald Trump (old photo)

कृषि एवं डेयरी सेक्टर

लेकर पेंच फंसने के बावजूद अमेरिका के साथ इस सप्ताह अंतरिम व्यापार समझौता होने की संभावना बरकरार है। अमेरिका की तरफ से लगाए गए 26 प्रतिशत के पारस्परिक शुल्क के स्थगन की अवधि आठ जुलाई को समाप्त हो रही है।भारत हिस्सेदारी बढ़ी US ट्रेड डील इस अवधि से पहले एक अंतरिम व्यापार समझौता कर लेना चाहते हैं। दोनों देशों में द्विपक्षीय व्यापार समझौता (बीटीए) को लेकर भी वार्ता चल रही है (भारत हिस्सेदारी बढ़ी US ट्रेड डील) जिसका पहला चरण इस साल सितंबर- अक्टूबर में पूरा होने की संभावना है।

डेयरी उत्पाद पर सरकार क्यों नहीं दे रही इजाजत

सूत्रों के मुताबिक दोनों ही देशों की तरफ से अंतरिम समझौते को आठ जुलाई से पहले अंजाम देने के पुख्ता संकेत मिल रहे हैं। भारत कृषि और डेयरी आइटम को छोड़ अमेरिका से आने वाले अन्य वस्तुओं पर लगने वाले शुल्क में छूट देने को तैयार है। भारत में अमेरिका के इसलिए भी इजाजत देना नहीं चाहती है कि अमेरिका में गाय-भैंस समेत दूध देने वाले पशुधन मांसाहार (नान वेज) चारा खाते हैं। (भारत हिस्सेदारी बढ़ी US ट्रेड डील) इसलिए उन पशुओ के दूध से बने उत्पाद को भारत में आसानी से स्वीकृति नहीं मिल सकती है। अमेरिका डेयरी के साथ कृषि उत्पादों को भी भारत में बेचना चाहता है।

अभी अमेरिका से आने वाले कई कृषि उत्पादों पर भारत 100 प्रतिशत से अधिक शुल्क वसूलता है। अमेरिका चाहता है कि भारत उनके कृषि पदार्थों के लिए शुल्क को समाप्त कर दे या बिल्कुल कम कर दे। लेकिन भारत अपने किसानों के हितों को देखते हुए कृषि सेक्टर को पूर्ण रूप से खोलने के पक्ष में नहीं है खासकर जेनेटिकली मोडिफायड (जीएम) उत्पादों के लिए तो बिल्कुल भी नहीं।

सूत्रों का कहना है कि

भारत हिस्सेदारी बढ़ी US ट्रेड डील के कुछ कृषि उत्पादों को रियायत दे सकता है क्योंकि अंतरिक समझौता नहीं होने की स्थिति में आठ जुलाई के बाद अमेरिका पारस्परिक शुल्क लागू कर सकता है। ऐसे में अमेरिका में निर्यात होने वाली भारतीय वस्तुओं पर 26 प्रतिशत का शुल्क लगेगा जो अभी 10 प्रतिशत है। इससे भारत के सबसे बड़े निर्यात बाजार अमेरिका में भारतीय वस्तुओं की बिक्री प्रभावित हो सकती है जिससे देश के निर्यात के साथ मैन्यूफैक्चरिंग और रोजगार भी प्रभावित होंगे।

भारत वैसे भी अमेरिका में मुख्य रूप से

  • टेक्सटाइल
  • जेम्स व ज्वैलरी
  • इंजीनियरिंग गुड्स
  • इलेक्ट्रॉनिक्स
  • फार्मा
  • केमिकल्स

लेदर जैसे रोजगारपरक सेक्टर से जुड़े आइटम का निर्यात करता है। फिलहाल अमेरिका चीन से सबसे अधिक आयात करता है, लेकिन विगत कुछ वर्षों में अमेरिका के आयात में भारत की हिस्सेदारी बढ़ रही है और चीन की कम हो रही है। अमेरिका के साथ अंतरिम व्यापार समझौता करने में कामयाब नहीं रहने पर यह स्थिति बदल सकती है। भारत हिस्सेदारी बढ़ी US ट्रेड डील

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