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ब्रम्ह मुहूर्त का अभ्यास कैसे करे? कोन से समय पर उठना चाहिए ? (How to practice Brahma Muhurta? Should the cone get up on time?)

आज हमारे द्वारा आपको ब्रम्ह मुहूर्त का अभ्यास कैसे करे? कोन से समय पर उठना चाहिए ? पूरी जानकारी हमारे आर्टिकल के माध्यम से आप सभी को प्रदान की जाएगी ओर हम ए भी जानकारी देगे की कोन से समय पर जगना चाहिएI

यह एक ऐसी ध्यान विधि है जिसका यदि आप मात्र 21 दिनो तक लगातार अभ्यास करते है तो आपकी कोई भी मनोवांछित मनोकामना इच्छा या प्रार्थना पूरी हो जाती हैI क्योंकि आपको इस धुआँ विधि का अभ्यास ब्रम्ह मुहूर्त में करना हैI इसलिए सबसे पहले हम ब्रम्ह मुहूर्त के विषय पर विस्तार से चर्चा करेगे ओर फिर ध्यान विधि के बारे मे बात करेगेI

ब्रम्ह मुहूर्त प्रातः काल

ब्रम्ह मुहूर्त प्रातः काल के उस विशेष एक घंटा 36 मिनट के समय को कहते हैI जो सुबह 4:24 से लेकर 6:00 बजे तक रहता हैI लेकिन इस विषय मे कुछ ओर भी मान्यताए हैI अगर हम प्राचीन ग्रंथों का अध्ययन करे तो उनके अनुशार रात्री को चार कालो मे विभाजित किया गया हैI पहला काल रुद्र है रुद्र कालIरुद्र काल शाम 6:00 बजे से लेकर रात्री 9:00 बजे तक प्रभावी राहत हैI उसके बाद दूसरा काल है राक्षस काल 9:00 बजे से लेकर 12:00 बजे तक प्रभावी रहता हैI फिर उसके बाद तीसरा काल है गंधर्व काल गंधर्व काल रात्री 12:00 बजे से लेकर भोर के 3:00 बजे तक प्रभावी रहत है ओर फिर आता है चौथा काल यानि जिसे अंतिम प्रहर भी कहा जाता है मनोहर काल मनोहर काल भोर के 3 बजे से लेकर 6:00 बजे तक प्रभावी राहत हैI ब्रम्ह मुहूर्त के समय की जो मान्यताए है वह मनोहर काल यानि की 3 से 6:00 बजे के बीच मे ही पड़ती हैI

हालाकी, विभिन्न देशों मे सूर्योदय के समय मे भेद राहत हैI अत : कोई एक निचित समय ब्रम्ह मुहूर्त का हर स्थान के लिए समान नहीं बताया जा सकता लेकिन यदि आप मनोहर काल के बिवह मे यानि भोर 3:00 बजे से लेकर सुबह 6;00 बजे के बीच मे किसी भी समय जल्दी उठते है तो यह समय अमृतवेला यान ब्रम्ह मुहूर्त का समय माना जाएगाI अगर ब्रम्ह मुहूर्त का शाब्दिक अर्थ समजे की कोसिस करे तो ब्रम्ह का मतलब होता है, देव अर्थात जो ज्ञान के देवता है ओर मुहूर्त अर्थात समय दंड यानि एक ऐसा समय जिसमे हम ज्ञान को समजे ने का प्रयत्न करते हैI ज्ञान को समजने का जो समय है उसको हम ब्रम्ह मुहूर्त कहते हैI

ब्रम्ह मुहूर्त की बहुत ही महत्वपूर्ण चर्चाए हमारे शास्त्रों मे की गई हैI ब्रम्ह मुहूर्त मे जो ब्रह्मांड है ओर जो देव शक्तिया है वे वातावरण मे विचरण करती रहती हैIअगर आपकी नींद इस समय के डोरण अचानक खुल जाती है तो इसका मतलब ही की शुभ ऊर्जाएं आपसे संपर्क करना चाहती हैI इसलिए जब आप इस समय मे उठाकर ध्यान जैसी शुभ क्रियाए करेगे तो आपको बहुत जल्दी उन ऊर्जाओ से संपर्क स्थापित होना शुरू हो जाएगाI इसी प्रकार सभी धर्मों के जो देवालय है, व्हायहे मंदिर हो, गुरुद्वारे हो या फिर जीतने भी पूजा स्थल हो वे सब ब्रम्ह मुहूर्त मे ही खोले जाते हैI क्योंकि यही वह समय है जब सारी नकारत्मक शक्तीया सो जाती है ओर सकारत्मक शक्तीया जागृत होती हैI

ब्रम्ह मुहूर्त
सुबह (ब्रम्ह मुहूर्त )

इस समय बहने वाली वायु को अमृत वायु कहा जाता है, क्योंकि सारा प्रदूषण ओर सारी दूषित वायु समाप्त होकर वातावरण मे ऑक्सिजन के रूप मे व्याप्त रहती है ओर रात के समय ओष पड़ने के कारण इस समय वायुमंडल दिन की अपेक्षा काफी शीतल राहत हैI ओर मनोहर राहत है इस समय वातावरण बिल्कुल शांत होता आई ओर इस कारण सॉकर उठने के कारण हमारी मस्तिष्क की सभी क्रियाए भी बिल्कुल शांत होती हैI इसलिए यदि आप इस समय अपनी स्टडी करते है, पठाई करते है, कोई प्लानिंग करते है या इंटरस्पेक्ट करते है, या ध्यान करते हैI तो उसमे आपको बहुत लाभ मिलता हैI

आपने वह कहावत तो सुनी ही होगी की जल्दी सोना ओर जल्दी उठना सफलता की प्रथम सीडी हैI इसलिए यदि आप भी सफल होना चाहते है तो ब्रम्ह मुहूर्त मे उठना शुरू करे उससे आपको बहुत सफलता मिलेगीI एक्चुअली मे इलेक्ट्रसिटी नहीं होती थी इसलिए लाइट नहीं राहनर पर लोग सूर्यास्त के बाद जो जाते थे ओर सूर्योदय से पूर्व यानि ब्रम्ह मुहूर्त मे ही उठ जाया करते थेI यह प्रकृति के साथ चलने की उनकी एक पद्धती थीI अत: जो भी व्यक्ति प्रकृति के साथ संतुलन बनाकर चलता है, वह हमेशा स्वस्थ ही रहते है ओर यह भी देखा गया गई की जो लोग प्रात: काल जल्दी उठते है वे बिल्कुल स्वस्थ रहते हैI ओर अक्सर स्वास्थ्य संबंधी समस्याए आने लगती हैI कहने का तात्पर्य यह है की अगर आप प्रकृति के साथ मेलजोल बनाकर चलते है तभी हम स्वस्थ रहते हैI लेकिन अगर हम प्रकृति के खिलाफ चलना शुरू हो जाए तो हमे शारीरिक रूप ओर मानसिक रूप से समस्याए आणि शुरू हो जाती हैI अब तक आप सभी लोग समज चुके होंगे की ब्रम्ह मुहूर्त क्या है ओर इसका महत्व क्या हैI