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मात्र 21 दिन मे एकाग्र ध्यान कैसे करे ओर अपनी मनोकामना कैसे पूरी करे (How to meditate in just 21 days)

मात्र 21 दिन मे एकाग्र ध्यान कैसे करे ओर अपनी मनोकामना कैसे पूरी करे? हम आपको एक एसी विधि के बारे मे बताए जो आपंके लिए आवश्यक रहने वाली है ओर अगर आप सच्चे मन थी एकाग्र का ध्यान लगा के अगर आप 21 दिन तक आप अपनी मनोकामना को पूरा कर सकते होI

21 दिवशीय ध्यान विधि

अब हम बात करते है 21 दिवशीय ध्यान विधि के बारे मे सबको मालूम है की प्रात: काल का समय ध्यान के लिए सर्वोतम समय होता हI इसलिए आज हम एक ऐसी ध्यान विधि की बात करेगे जो विशेषकर ब्रम्ह मुहूर्त मे ही की जाती हैI यदि आप इस विधि को निरंतर 21 दिनों तक केवल 10 मिनिट की अवधि तक हर रोज इसक अभ्यास करते हैI अगर आप एकाग्र ध्यान 21 दिनों मे भीतर ही आपको इस विधि रिजल्ट मिलने लग जाएगाI यह विधि विशेष रूप से आपकी कोई इच्छा कोई मनोकामना अथवा आपकी कोई प्रार्थना जिसको आप पूरा करना चाहते है उसके लिए हैI

सावधानी क्या रखेगे?

इससे पहले की हम इस विधि पर पूरी बात करे थोड़ी सावधानी रखनी जरूरी हैI जैसे की लोग जिनको ह्यदय से संबंधित कोई कष्ट है, ह्यदय से संबंधित कोई बीमारी है या जिनको रक्तचाप की समस्या ब्लड प्रेसर की समस्या रहती हैI वह इस विधि का अभ्यास न करे क्योंकि इस विधि के अंदर हमे सांस को रोककर रखना पड़ता हैI यही कारण है की ह्यदय रोगी ओर रक्तचाप के मरीज इस विधि को बिल्कुल न करे अब कैसे इसको करना है?

आज्ञा चक्र

चलिए जानते है यह एक बहुत ही चमत्कारिक विधि हैI बहुत जल्दी अपना रिजल्ट देती है, इसका कारण है की इस विधि मे हम अपना ध्यान अपने आज्ञा चक्र पर स्थित रखते है ओर आज्ञा चक्र हमारा एक ऐसा चक्र हैI जो हमारे संकल्प का स्थान है ओर हमारी विजुअलाइजेशन का स्थान है ओर हमारि क्रीएविटी का स्थान हैI अगर हम चक्र पर क्रेदीत होकर प्रार्थना करते है कोई संकल्प को दोहराते है, तो वह संकल्प या प्रार्थना बहुत जल्द पूरी हो जाती हैI क्योंकि इस चक्र का कार्य क्षेत्र ही यही है इसे हम संकल्प चक्र भी बोलते है क्योंकि इस चक्र पर ध्यान लगाने से हमारे संकल्प पूरे होते हैI

एकाग्र ध्यान कैसे करे?

जैसे की अगर हम कोई आज्ञा करे तो वह आज्ञा पूरी हो जाती है वैसे ही सबसे पहले आप आपनी कोई एक मनोकामना जैसे कोई भी ऐसी इच्छा हैI जो आप पूरा करना चाहते है उसको अच्छी तरह दिसाइड़ कर ले की मेरी यह इच्छा है, मेरी यह मनोकामना है यह पूरी होनी चाहिए क्योंकि आपको 21 दिनों तक केबल उसी इच्छा की पूर्ति के लिए इस एकाग्र ध्यान विधि का अभ्यास करना है इसीलिए सबसे पहले आप अपनी एक इच्छा डीसाइड कर लें फिर अपना ध्यान शुरू करेंI

सबसे पहले अर्ली मोनरनिग यानि ब्रम्ह मुहूर्त के समय आप उठेगे ओर उठने के बाद फ्रेश होकर नहा धो ले तो अच्छी बात है, नहीं तो सिर्फ अगर मुंह हाथ भी अच्छी तरह से धो लेंगे तो भी चलेगा ओर फिर उसके बाद आप अपने घर के मंदिर में पूजा स्थल मे या अपने ध्यान कक्ष मे ध्यानस्थ होकर बैठ जाए ध्यान करने की वह जगह ऐसी हो जहा से बाहर की प्राण वायु भी आपके कमरे के भीतर प्रवेश करती हो क्योंकि इस विधि को हम प्रात: काल ब्रम्ह मुहूर्त मे करते हैI

अत: इस समय आपको शुद्ध प्राण वायु की जरूरत रहेगी तो ऐसे साथल पर बैठना जहा पर खुली हवा आपको अपने रूम में आती रहे ओर जब आप ध्यानस्थ बैठे तो कमर सीधी करके ओर गार्डन सीधी करके दोनों हाथों को घुटनों पर रखकर बैट जाएI इसके बाद मुठ्ठी बंद कर लें ओर पहले दो-तीन मिनिट अपने मन को शांत करें ओर शरीर को स्थिर करें जब आपका मन शांत हो जाए, शरीर स्थिर हो जाए तथा स्वास सामान्य हो जाए, फिर आपको अपना एकाग्र ध्यान अपनी आज्ञा चक्र पर लेकर जाना हैI आज्ञा चक्र यानि की दोनों भो के बीच मे जहां पर हम तिलक लगाते या स्त्रीया बिंदी लगाती हैI उस स्थान पर आप अपने अवधारणा को अपनी अटेन्शन को लेकर आएगे ओर वही पर पूरा समय आप अपना ध्यान बनाकर रखेगेI

अब आपको इसी जगह पर लगातार अपने मानसिक नेत्रों से इस स्थान को महसूस करते रहना हैI जब आप अपने मानसिक नेत्रों से इस स्थान को महसूस करते रहेगे तो अपना ध्यान यहा पर बनाए रखेगेI फिर आप एक लंबी गहरी सांस भरेगे ओर लंबी गहरी सांस भरकर उसको अंदर ही रोक रखेगेंI जब आप अपनी साँस को अंदर भरकर रोक लेगें ओर उस दौरान आपका एकाग्र ध्यान भी आज्ञा चक्र पर टीका रहेगाI

इष्ट देवी देवता या गुरु का स्मरण करना

एकाग्र ध्यान के समय आप अपने इष्ट देवी देवता या गुरु का चित्र अपने आज्ञा चक्र पर देखेगे ओर अपने इष्ट देवी देवता या गुरु का चित्र अपने आज्ञा चक्र पर देखते हुए ओर सांस को अंदर रोक कर रखते हुए आप प्रार्थना या संकल्प करेगें या अपनी इच्छा को दोहराएगे जो भी आपकी इच्छा है, एक लाइन मे उसको दोहराना है, की हे गुरुदेव या हे मेरे परमात्मा जिनको भी आप मानते है उनके आगे आप प्रार्थना करेगें की मेरी इच्छा पूरी हो ओर तब तक आप उस इच्छा दोहराते रहेगे जब तक आपके अंदर उस सांस को अंदर रोक कर रखने की क्षमता हैI सांस आप 10 सेकंड भी रोक सकते है, 20 सेकंड भी रोक सकते हैI आप फिर 30 सेकंड भी रोक सकते है जितना हो सके मेकक्षीमम टाइम तक बिना कस्ट के आप ध्यान आज्ञा चक्र पर बनाए रखेगें ओर अपने मन की आँखों से अपने ईस्ट देवी देवता या गुरु का स्मरण करते रहेगेI बार-बार अपनी इच्छा को रिपिट करते रहेगे तब तक जब तक की आपकी सांस अंदर रुकी हुई हैI जब आपको लगे की इससे ज्यादा आप अपनी सांस को आबदार नहीं रोक सकते तो फिर धीरे से मुंह से सांस को बाहर निकाल देंगें याद रखे की आपको अपनी साँसों को नायक से भरना है ओर बाहर मुख से निकालना हैI

इस तरह एक चक्र हुआ फिर आप 15 या 20 सेकंड तक थोड़ा स रेस्ट करेगें ओर सामनी स्थिति मे रहेगे रेस्ट के बाद तुरंत दूसरा चक्र शुरू करना है यानि की फिर से एक लंबी सांस भरना हैI सांस को अंदर ही रखना है फिर अपने ध्यान को आज्ञा चक्र पर रिकाना हैI इसके बाद अपने मन में ईस्ट देवी देवता अथवा अपने गुरु का चित्र निहारना है ओर इन सभी चीजों के साथ दोबारा अपनी प्रार्थना को फिर से रिपिट करना हैI अपने संकल्प को अपनी इच्छा को फिर से दोहराएगे ओर तब तक दोहराते रहेगे जब तक आपकी सांस अंदर रुकी रहेगी ओर जब आपको लगे की इससे ज्यादा आप सांस को नहीं रोक सकते तो सांस को मुंह से बाहर निकाल दें ओर फिर कुछ सेकंड तक रेस्ट करेंI

इस तरह यह दो चक्र हुआ ऐसे आपको लगातार बिचबीच मे रुक रुक कर कुछ सेंकड़ रेस्ट करते करते अपनी इच्छा को बार-बार दोहराते जाना है ओर लगभगग 10 मिनट तक आपको एस करना हैI 21 दिनों तक हर रोज करना है क्योंकि यह एक पूरी विधि हैI इसलिए आपको 21 दिनों तक सच्चे मन से पूरा करना ही करना हैI तभी आपकी सारी इच्छाए पूरी हो सकती है, अगर आपने बीच मे मिस कर दिया या छोड़ दिया तो आपकी मनोकामना पूरी होने की संभावना कम हैI आखिरकार ऐसा क्यों होता है? ओर इस विधि की साईस क्या है? पहली बात हमारा आज्ञा चक्र जैसे मैंने आपको पहले भी बताया है यह संकल्प का स्थान यह हमारे विजुअलाइजेशन का स्थान हैI

यह हमारा आज्ञा का स्थान है तभी इसका नाम आज्ञा चक्र पद हैI इसलिए जब तक हम इस स्थान पर आकार कोई आज्ञा करते है, कोई प्रार्थना करते है या फिर कोई संकल्प करते है, तो वह आज्ञा वह संकल्प, वह प्रार्थना पूर्ण हो जाती हैI हम जो भी आज्ञा चक्र पर केन्द्रित होकर कोई ऐसी चीज की डिमांड करते है तो वह पूरी हो जाती हैI क्योंकि यह इच्छा पूर्ति का स्थान है ओर दूसरी बात जब हम इस प्रकार से सांस को अंदर रोकते है तो क्या होता है? इससे हमारी पूरी बॉडी मे एक इमरजेंसी की सीचूएशन आ जाती है जब हम इतनी देर तक सांस को रोकते है तो क्या होता है? हमारा दिमाग रुक जाता है हमारे विचार रुक जाते है ऐसा क्यों होता है? एस इसलिए होता है क्योंकि अब आपके पास लग्जरी नहीं हैI

आराम से विचार करने की अब तक आपातकालीन स्थिति है ऐसी स्थिति मे आप विचार नहीं कर पायेगेI इसलिए जब आप अपना सारा ध्यान अगर किसी एक चीज को चुनकर लगाएगे तो उसी स्थान पर आपका ध्यान लगा रहेगाI यानि की आपका मन पहले से ज्यादा एकाग्र ध्यान हो जाएगा, तो जब आप सांस को भरकर रोकते है तो यह दूसरी महत्वपूर्ण चीज हैI

तीसरी बात यह है की जब आप इस प्रकार एकाग्र ध्यान हो जाते है ओर बार बार अपनी मनोकामना को रिपिट करते है तो तो क्या होता है? इससे धीरे-धीरे आपकी वह इच्छा आपके चेतन मन से अवचेतन मन मे चली जाती हैI यानि वह इच्छा एक दिन बाद जो विचार आप बार-बार दोहरा रहे है, आपके अवचेतन मन मे जाना शुरू हो जाता हैI जो हमारे मन का गहरा ताल है ओर अगर आप किसी विचार को अपने अवचेतरण मन मे यानि की अपने सबकॉन्शियस माइंड मे उतार देते है, तो लो ऑफ अट्रेक्शन के अनुशार वह इच्छा आपकी पूरी हो जाती हैI

एकाग्र ध्यान
एकाग्र ध्यान

यही इसकी साइंस है इसमें तीनों छज विशेष रूप से कार्य करती हैI पहला आज्ञा चक्र क्योंकि यह आज्ञा का स्थान है इसलिए हमारी आज्ञा को पृस्टी करता हैI दूसरा सांस जब अपने अंदर रोक कर रखते है तो शरीर मे इमरजेंसी की स्थिति हो जाती हैI जिससे आप फालतू के विचार करने से बच पाते है ओर आपका मन एकदम से एकाग्र हो जाता हैI तीसरी चीज जब आप अपने अवचेतन मन को खोल रहे होते है, तब आपकी जो इच्छा वह आपके अवचेतन यमन मे चली जाती हैI जिससे उस इच्छा पूर्ति के द्वार खुलने शुरू हो जाते हैI

एकाग्र ध्यान शक्ति की विशेषता

एक बात ओर जो सबसे महत्वपूर्ण है आप इस विधि को ब्रम्ह मुहूर्त के समय मे कर रहे है ब्रम्ह,मुहूर्त मे समय की जो विशेषता है वह मैंने शुरू मे ही आपको डिटेल मे बात दिया है, की अगर हम कोई विधि ब्रम्ह मुहूर्त के समय मे करते हैI यानि प्रात: काल भर करते है तो यह समय देवताओ का समय है परमात्मा का समय हैI अत: इस समय मे आप अपने शुद्धध मनसे कोई भी प्रार्थना करते है तो वह प्रार्थना आपकी जरूर सुनी जाती है तो अब आप पूरी तरह समज चुके होंगेI अगर आप भी किसी संकट मे फंसे हुए है ओर उस संकट से बाहर निकलना चाहते है, तो उस संकट से बाहर निकलने के लिए आप इस प्रकार से ध्यान करें या आपकी कोई बहुत जरूरी कोई आवश्यक इच्छा है कोई मनोकामना है या कोई जरुरत है जिसे उसको इस विध्या का प्रयोग सच्चे मन से करना चाहिएI

प्रेमानन्द महाराजजी का कहना है की

आप इस विधि का अभ्यास सच्चे मन से करें क्योंकि यह विधि हमारी आजमाई हुई विधि हैI खुद मैंने अपने जीवन मे इसको कई बार आजमाया है ओर हमेशा इसमे सफलता हासिल की हैI इसलिए आप भी सफल होंगे इसका अभ्यास निरंतर करें आपको बहुत लाभ होगाI

ध्यान रखने वाली बात

आप जीवन मे पूरा करना चाहते है तो उस इच्छा या जरूरत को आप इस विधि से अपने जीवन मे पूरा कर सकते है एक बात ओर ऐसी किसी भी इच्छा पूर्ति के लिए इस विधि का प्रयोग न करे जिससे दूसरे का नुकशान हो अन्यथा इसके दुष्परिणाम के जिम्मेदार आप खुद होगेंI

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